
लगा मेरे उपवन में |
जिसे देख कर फूल ख़ुशी के
खिलते जाते मेरे मन में |
धूप यह खाता , पीता पानी
यही तो इसका दाना पानी |
बढ़ते बढ़ते बढ़ जायेगा
एक घना वृक्ष यह बन जायेगा |
किसी राह का थका मुसाफ़िर ,
इसके नीचे नींद चैन की सो जायेगा |
-सुनील कुमार जी द्वारा प्रेषित
http://sunilchitranshi.blogspot.com/
अच्छी शुरुआत कार्य प्रशंसनीय है
ReplyDeleteजिसे देख कर फूल ख़ुशी के
ReplyDeleteखिलते जाते मेरे मन में |
प्रशंसनीय.................
The Best Working
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